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बांसुरी बजाना सीखे

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Sohan rai 17 December2020 बांसुरी बजाना सीखे ऊपरी जोड़ में स्थित खुले सिरे को बाँसुरी के चौड़े भाग में डाले- इस भाग में छिद्र कम होते हैं और यह सिरा बाँसुरी पर अंकित ब्रांड के नाम के सबसे पास होता है | इन भागों को जोड़ने के लिए इन्हें मरोड़ना पड़ सकता है | बाँसुरी के मुख रंध्र (जिसे हम अपने मुँह में रखते हैं) को डंडी में स्थित पहले छिद्र पर संरेखित करें | ऊपरी सिरे की जोड़ को पूरी तरह से अंदर ना डालें, इसे थोड़ा सा बाहर रखें | यह बाँसुरी को धुन में रखने की मदद करता है | निचले सिरे को कैस में से निकाल कर बाँसुरी के दूसरे सिरे से जोड़ें | निचले सिरे की मुख्य लग्गी को बाँसुरी के आखरी छिद्र से जोड़ें | ज़रूरत पड़ने पर संरेखन को समायोजित करें | सुरी को पकड़ना सीखें: बाँसुरी को मुख रंध्र से अपने मुँह में पकड़ें और बाकी का भाग आपके दाँयी ओर होना चाहिए सम-स्तरीय विधान में | आपका बाँया हाथ मुख रंध्र के पास होना चाहिए और बाँसुरी के दूसरे सिरे से आपकी तरफ मुड़ा हुआ होना चाहिए | आपका बाँया हाथ ऊपरी छिद्रों पर होना चाहिए | आपका दाँया हाथ बाँसुरी पर और नीचे होना चाहिए, निचले सिरे के पास और दूसरी तरफ...

Hanuman chalisha ke gun

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हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे !           By: Sohan rai July 02, 2019 आज सुबह एक सज्जन पुरुष ने हनुमान चालीसा पढ़ने के फायदे बताये !मुझे अत्यन्त ख़ुशी का अनुभव हुआ, इसलिए मैं अपने दोस्तों से इस ख़ुशी को बांटना चाहता हूँ !हनुमान चालीसा का पूरा पाठ करने में लगभग २२ मिनट लगते हैं !यह लेख थोड़ा लम्बा है, कृपया निश्चिंत हो कर ही इसे पढ़ें ! 1. बुरी आत्‍माओं को भगाए: हनुमान जी अत्‍यंत बलशाली थे और वह किसी से नहीं डरते थे। हनुमान जी को भगवान माना जाता है और वे हर बुरी आत्‍माओं का नाश कर के लोगों को उससे मुक्‍ती दिलाते हैं। जिन लोगों को रात मे डर लगता है या फिर डरावने विचार मन में आते रहते हैं, उन्‍हें रोज हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये। 2. साढे़ साती का प्रभाव कम करे: हनुमान चालीसा पढ़ कर आप शनि देव को खुश कर सकते हैं और साढे साती का प्रभाव कम करने में सफल हो सकते हैं। कहानी के मुताबिक हनुमान जी ने शनी देव की जान की रक्षा की थी, और फिर शनि देव ने खुश हो कर यह बोला था कि वह आज के बाद से किसी भी हनुमान भक्‍त का कोई नुकसान नहीं करेगें। 3. पाप...

Raja Harischandra

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Sohan rai कौन थे राजा हरिशचंद्र? Sohan rai अयोध्या के राजा हरिशचंद्र बहुत ही सत्यवादी और धर्मपरायण राजा थे। वे भगवान राम के पूर्वज थे। वे अपने सत्य धर्म का पालन करने और वचनों को निभाने के लिए राजपाट छोड़कर पत्नी और बच्चे के साथ जंगल चले गए और वहां भी उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी धर्म का पालन किया। ऋषि विश्वामित्र द्वारा राजा हरिशचंद्र के धर्म की परीक्षा लेने के लिए उनसे दान में उनका संपूर्ण राज्य मांग लिया गया था। राजा हरीशचंद्र भी अपने वचनों के पालन के लिए विश्वामित्र को संपूर्ण राज्य सौंपकर जंगल में चले गए। दान में राज्य मांगने के बाद भी विश्वामित्र ने उनका पीछा नहीं छोड़ा और उनसे दक्षिणा भी मांगने लगे। इस पर हरिशचंद्र ने अपनी पत्नी, बच्चों सहित स्वयं को बेचने का निश्चय किया और वे काशी चले गए, जहां पत्नी व बच्चों को एक ब्राह्मण को बेचा व स्वयं को चांडाल के यहां बेचकर मुनि की दक्षिणा पूरी की। हरिशचंद्र श्मशान में कर वसूली का काम करने लगे। इसी बीच पुत्र रोहित की सर्पदंश से मौत हो जाती है। पत्नी श्मशान पहुंचती है, जहां कर चुकाने के लि...
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आत्मा क्या होती हैं ? By: Sohan rai June 12, 2019 06:52am 1 / 3 आत्मा क्या होती हैं ? आत्मा एक प्रकाश पुंज हैं जो की परम्प्रकाश पुंज का अंश हैं. पूरा ब्रह्म्हांड ब्रह्म उर्जा से चालित हैं . जिसमें यह पूरी सृष्टि निहित हैं . इस ब्रह्म उर्जा का न कोई आदि न अंत हैं .वह अति आनंददायक अति वृहद प्रकाश पुंज हैं ,जो कण कण में व्याप्त हैं . इस अनंत उर्जा को हम परमात्मा कहते हैं .आत्मा इसी परमात्मा से निकली हुई एक प्रकाश पुंज हैं . 2 / 3 आत्मा को हम एक स्वतंत्र आत्मा भी कहते हैं परमब्रह्म उर्जा जब एक प्रकाश पुंज के रूप में निकल कर एक शरीर को धारण करती हैं तो वह आत्मा कहलाती हैं . इस आत्मा को हम एक स्वतंत्र आत्मा भी कहते हैं . जिस पल उर्जा एक आत्मा के रूप में शरीर को धारण करती हैं वही से उसकी अध्यात्मिक यात्रा शुरू हो जाती हैं .जब यह आत्मा परमात्मा रुपी उर्जा से निकल कर कई शरीरो से होते हुए वापिस परमब्रह्म प्रकाश पुंज के साथ एकीकर हो जाती हैं तो आत्मा को मोक्ष की उपलब्धि होती हैं और उसकी अध्यात्मिक यात्रा का अंत हो जाता हैं . 3 / 3

भुत के अनोखे तत्थ जिसे आप नही जानते होंगे?

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किसी खंडहर में अंधेरा और फिर अचानक कोई टक टक की आवाज. ऐसी परिस्थितियों में डर लगने लगता है, बदन में झुरझुरी सी होती है. लेकिन यह डर आता कहां से है? डर या भय, इसका सामना हर इंसान करता है. क्या वाकई कोई चीज हमें डराना चाहती है या फिर मस्तिष्क भ्रम पैदा कर हमें असुरक्षित महसूस कराता है. असाधारण घटनाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करने वाली पैरासाइकोलॉजी, इसी डर का जवाब खोजने की कोशिश कर रही है. बकिंघमशायर न्यू यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. कायरन ओकीफ कहते हैं, "पैरासाइकोलॉजिस्ट मुख्य रूप से तीन प्रकार की रिसर्च में शामिल हैं. पहला इलाका है, विचित्र किस्म का आभास. इसमें टेलिपैथी, पहले से आभास होना या परोक्षदर्शन जैसी चीजें आती हैं. दूसरा है, मस्तिष्क के जरिये कोई काम करना, जैसे बिना छुए चम्मच को मोड़ देना. तीसरा है, मृत्यु के बाद का संवाद, जैसे भूत प्रेत या आत्माओं से संवाद." असाधारण घटनाक्रम से जुड़े मनोविज्ञान को समझने के लिए वैज्ञानिक न्यूरोसाइंस की भी मदद ले रहे हैं. असामान्य परिरस्थितियों में कई बार हमारी आंखें अलग ढंग से व्यवहार करती हैं. कम रोशनी में आंखों...